विपक्ष
Saturday, March 2, 2013
Tuesday, February 19, 2013
लक्ष्मण रेखा और सीता
लक्ष्मण रेखा और सीता
Wednesday, April 11, 2012
मैंने
उतार लाया है
रोता हुआ
शायद...हँसता हुआ
नहीं, रोने के बाद
हँसता हुआ
सफेद बादलों का एक फाहा
और उसे रख दिया है अपने जख्मों पर।
जब जख्मों से रिसता हुआ लहू
फाहे में सिमिट
मेरी कलम की स्याही बनता है
तभी तो में लिख पता हूँ
दर्द भरी
शायद...प्रेम भरी
नहीं, दर्द के बाद प्रेम भरी कविता।
देखो मेरी कविता में मैं हूँ
शायद...मेरी कविता में तुम हो
नहीं, मेरी कविता में मैं नहीं सिर्फ तुम हो।
मेरी कविता के हर्फ़ चमकते हैं
यह चमक सफ़ेद बादलों के फाहे ही है
शायद...यह चमक स्याही बने मेरे खून की है
नहीं, यह चमक तुम्हारे कविता हो
मेरे पन्ने पर उतर जाने की है।
मेरी कविता का इक भी
शब्द मेरी बात नहीं मानता
वह मुढ़ जाता है
तुम्हारे मोहल्ले, गली और
तुम्हारे घर की छत पर
उनको लगता है
रातों को तुम अब भी
मुझको ढूँढने निकल जाती होगी।
मेरी कविता बदसूरत है
अशोक वाटिका में
माँ सीता की सेवा में लगी त्रिजटा की तरह
शायद...मेरी कविता सुंदर है
मेनका के सोंदर्य की तरह
नही, मेरी कविता बदसूरती के बाद सुंदर है
भगवान श्री कृषण को दूध पिलाती पूतना की तरह।
मेरी कविया श्रापित है
अर्जुन के वृह्न्ल्ला बनने की तरह
शायद...मेरी कविता वरदानित है
माँ दुर्गा के हाथों मारे रक्त बीज की तरह
नहीं, मेरी कविता श्रापित हो वरदानित है
गौतम की आहिल्या की तरह।
मेरी कविता इकरंगी है
शायद...मेरी कविता बहुरंगी है
नहीं, मेरी कविता इकरंगी के बाद बहुरंगी है
जब मेरी कविता बहुरंगी बनती है
तो उस रिक्त स्थान पर
जिधर से मैं
बादलो का फाहा उतार लाया था
इक इन्द्रधनुष सा चमक जाता है।
Friday, April 6, 2012
Thursday, March 17, 2011
सभ्यता की कहानी
आओ सुनाऊं एक कहानी
एक था राजा एक थी रानी
राजा न इक कुत्ता पाला
उसके गले में पटटा डाला
रानी न इक बिल्ली पाली
नीली नीली आँखों वाली...
अगर भारतीय खानी नहीं सुननी
तो अरेबियन कहानी सुनो
अली बाबा और चालीस चोर
हाँ...मरजीना को नहीं भूलना
कहानी में वह भी जरूर होती है।
आगे बढने से पहले बताएं
क्या आपने कोई राजा या रानी देखी है
अगर हाँ तो भी
और अगर ना तो भी
उनके कुत्तों और बिल्लिओं से तो
जरूर पाला पड़ा होगा।
अगर आप किसी राजा या रानी को नहीं जानते
तो क्या कभी
आपकी मुलाकात अली बाबा या मरजीना से हुई है
अगर हाँ तो भी
और अगर नहीं तो भी
चालीस चोरों के हाथों
आपके खून पसीने की कमाई तो जरूर लुटी होगी.
पता नहीं क्यूँ
हर सभ्यता की कहानिओं में
वह चाहे यूनान हो, रोम, मिस्र, दिल्ली या बगदाद
राजा और रानी के साथ उनके कुत्तों और बिल्लिओं का
अली बाबा के साथ चालीस चोरों का
जिक्र जरूर होता है।
लेकिन मेरे दोस्त में आप से पूछता हूँ
की कल को जब में और आप इतिहास बन जायेंगे
तो क्या आप चाहेंगे की
हमारी सभ्येता की कहानियों में भी
राजा रानी के साथ
उनके कुत्ते और बिल्लिओं का
या अली बाबा और मरजीना के साथ
चालीस चोरों का जिक्र हो।
मेरे भाई यह तुम भी जानते हो
यह में भी जानता हूँ
यह राजा, रानी, अली बाबा और मरजीना भी जानती है
की
राजा रानिओं के आगे दूम हिलाने वालों से लेकर
लुटेरों के आगे आत्म समर्पण करने वालों के नाम
सभ्येताओं की कहानिया याद नहीं रखतीं।
यह हम पर है
हम गले में
पटटआ डलवाते है
दूम हिलाते है
उम्र भर की कमाई लुट वातें हैं
या एक साथ मिलकर
राजा, रानी, अली बाबा और मरजीना को
जड़ से उखाड़ने के लिए
जोर से जोर लगते हैं.
Saturday, January 22, 2011
मैं अर्जुन ही हूँ
तुमने सिखाया द्रौपदी चीरहरण में नपुंसक बनना
चौसर के खेल में पांसों की धोखाधड़ी
जरूरत आन पड़े तो अंगूठे जमा करना
ऐसे चक्र वहू रचना ताकि निहत्था अभिमन्यु फांसा जा सके
अब क्यों हो परेशान
जब जीवन के कुरुक्षेत्र मैं
मैं खड़ा हूँ
तुम्हारे सामने
गांडीव लिए...
आखिर द्रौण का सामना
तो
अर्जुन को ही करना है.